दोस्तों, आज हम बात करने जा रहे हैं 2025 में रिलीज़ हुई मराठी फिल्म “Mangla” के बारे में। यह फिल्म एक बायोग्राफिकल ड्रामा है, जो एसिड अटैक सर्वाइवर डॉ. मंगला कपूर की असली जिंदगी से प्रेरित है। फिल्म का निर्देशन और सह-निर्माण किया है अपर्णा होसिंग ने। इसके निर्माता हैं यशना मुरली, मोहन पूजारी और मिलिंद फोडकर, और यह फिल्म Rash
Production Pvt. Ltd. और Fakt
Ani Fakt Entertainment के
बैनर तले बनाई गई है।
फिल्म में मुख्य किरदार निभाया है शिवाली परब ने, जो डॉ. मंगला कपूर की जिंदगी से प्रेरित एक महिला की भूमिका में हैं। उनके साथ फिल्म में शशांक शेंडे और अलका कुबल भी अहम किरदार निभाते हैं।
“Mangla” एक ऐसी महिला की कहानी है जिसने जीवन में सबसे बड़ी त्रासदी का सामना किया – एक निर्मम एसिड अटैक। यह हमला उसकी जिंदगी, उसके चेहरे और उसके सपनों को तोड़ने के लिए किया गया था। लेकिन मंगला ने हार मानने से इंकार कर दिया।
हमले के बाद मंगला का चेहरा बुरी तरह से झुलस जाता है। लोग उसे देखना भी पसंद नहीं करते। समाज उसे अलग नज़र से देखता है, उसे पढ़ाई और नौकरी में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। लेकिन मंगला इन सबके बावजूद अपने सपनों को छोड़ती नहीं।
मंगला का असली सपना है संगीत। बचपन से ही उसे संगीत में गहरी रुचि होती है। उसकी आवाज़ इतनी मधुर और ताकतवर है कि लोग अक्सर उसकी तुलना लता मंगेशकर से करते हैं।
हमले के बाद जब समाज और लोग उसे हतोत्साहित करने लगते हैं, तो वह संगीत को ही अपना सहारा बनाती है। पढ़ाई में आने वाली कठिनाइयों को नजरअंदाज कर वह लगातार रियाज़ करती है और शास्त्रीय संगीत में महारत हासिल करती है।
हमले के बाद मंगला को स्कूल और कॉलेज में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। कई बार लोग उसे क्लास से बाहर कर देते हैं या उसके साथ पढ़ने से कतराते हैं। नौकरी ढूँढने में भी उसे नाकामयाबी हाथ लगती है, क्योंकि लोग उसके चेहरे को देखकर उसके टैलेंट को नजरअंदाज कर देते हैं।
लेकिन मंगला का हौसला कभी नहीं टूटता। वह निरंतर मेहनत करती रहती है और अंततः संगीत में पीएचडी हासिल करती है। यही नहीं, वह एक सम्मानित संगीत अध्यापिका (music teacher) भी बन जाती है।
फिल्म “Mangla” केवल
एक महिला की व्यक्तिगत जीत की कहानी नहीं है, बल्कि यह समाज को भी आईना दिखाती है। फिल्म यह सवाल उठाती है कि क्यों किसी इंसान की पहचान सिर्फ उसके चेहरे से की जाती है? असली सुंदरता उसके कर्मों, हिम्मत और टैलेंट में होती है।
मंगला का जीवन इस बात का सबूत है कि चाहे कितनी भी बड़ी कठिनाइयाँ क्यों न आएँ, इंसान अगर अपने सपनों के प्रति सच्चा और समर्पित रहे, तो उसे मंज़िल ज़रूर मिलती है।
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शिवाली परब ने मंगला के किरदार में कमाल का काम किया है। उनकी एक्टिंग इतनी नैचुरल है कि दर्शक किरदार से गहराई से जुड़ जाते हैं।
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शशांक शेंडे और अलका कुबल जैसे अनुभवी कलाकारों ने कहानी को और मज़बूत बनाया है।
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निर्देशक अपर्णा होसिंग ने फिल्म को बहुत संवेदनशील तरीके से बनाया है। उन्होंने न सिर्फ मंगला की पीड़ा दिखाई है, बल्कि उसके संघर्ष, उसकी ताकत और उसके सपनों की उड़ान को भी खूबसूरती से चित्रित किया है।
क्योंकि फिल्म संगीत से जुड़ी है, इसलिए इसमें गाने और बैकग्राउंड म्यूज़िक बेहद अहम भूमिका निभाते हैं। शास्त्रीय संगीत के टुकड़े और मंगला की आवाज़ फिल्म का दिल बन जाते हैं। ये गाने न सिर्फ कहानी को आगे बढ़ाते हैं, बल्कि दर्शकों की भावनाओं को भी छू जाते हैं।
कुल मिलाकर, Mangla
एक बेहद प्रेरणादायक फिल्म है। यह सिर्फ एक महिला की कहानी नहीं, बल्कि उन सभी लोगों की आवाज़ है जिन्हें समाज ने कभी उनके रूप, हालात या कमजोरी के कारण ठुकराया है।
मंगला की यात्रा हमें सिखाती है कि सच्ची सुंदरता चेहरे में नहीं, बल्कि आत्मा और टैलेंट में होती है।
अगर आप ऐसी फिल्में पसंद करते हैं जो दिल को छू जाएँ और इंसान को जिंदगी जीने का नया नजरिया दें, तो “Mangla”
ज़रूर देखनी चाहिए।
👉 दोस्तों, यह थी फिल्म Mangla
(2025) की पूरी कहानी और समीक्षा। अगर आपको यह वीडियो पसंद आए तो लाइक, शेयर और सब्सक्राइब करना मत भूलिएगा।
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