"SHRIMAN SHRIMATI" - HINDI MOVIE REVIEW / FAMILY DRAMA / SANJEEV KUMAR & RAAKHEE MOVIE
नमस्कार दोस्तों! आज हम आपके लिए लाए हैं 1982 की एक दिलचस्प और दिल को छूने वाली पारिवारिक फिल्म की कहानी – "Shriman
Shrimati"। इस फिल्म को प्रोड्यूस किया था बी नागी रेड्डी ने और डायरेक्टर थे विजय रेड्डी। फिल्म में एक से बढ़कर एक कलाकार नजर आते हैं – संजीव कुमार, राखी, अमोल पालेकर, दीप्ति नवल, ए के हंगल, राकेश रोशन, सारिका, ललिता पवार और अंजलि नायडू।
इस फिल्म का संगीत दिया था राजेश रोशन ने और ये फिल्म 1979 की तेलुगु फिल्म "Tayaramma
Bangarayya" की हिंदी रीमेक है।
कहानी शुरू होती है श्रीमान और श्रीमती वर्मा से – यानी संजय वर्मा और उनकी पत्नी शारदा से। ये एक बुजुर्ग दंपती हैं, जिनका अपना कोई बच्चा नहीं है, लेकिन समाज की सेवा करना उनका मकसद बन चुका है। उन्होंने अपना जीवन लोगों के रिश्तों को सुधारने और टूटते परिवारों को जोड़ने में समर्पित कर दिया है।
सबसे पहले कहानी मिलवाती है राकेश और प्रेमा से।
राकेश एक तेज़-तर्रार और थोड़ा ज़िद्दी किस्म का इंसान है, जबकि प्रेमा एक नर्म दिल और समझदार लड़की है। शादी के बाद दोनों के बीच अक्सर झगड़े होते रहते हैं। छोटी-छोटी बातों पर दोनों लड़ पड़ते हैं और दूरियाँ बढ़ती जाती हैं। धीरे-धीरे हालात ऐसे हो जाते हैं कि दोनों तलाक लेने की सोचने लगते हैं।
अब आते हैं दूसरे जोड़े पर – सुधीर और
दीपा। सुधीर एक शांत स्वभाव का आदमी है जो हर बात को दिल पर लेता है। दीपा खुले विचारों वाली, आज़ाद ख्याल की महिला है। दोनों एक-दूसरे से प्यार तो करते हैं, लेकिन उनके सोचने के तरीके इतने अलग हैं कि हर दिन कोई न कोई नया विवाद खड़ा हो जाता है।
अब इन दोनों टूटते रिश्तों को बचाने की जिम्मेदारी लेते हैं श्रीमान और श्रीमती वर्मा। उनका मानना है कि आजकल के युवा जल्दबाजी में रिश्तों को तोड़ देते हैं, जबकि प्यार, विश्वास और धैर्य से कोई भी रिश्ता बचाया जा सकता है।
वो दोनों जोड़ों को अपने घर बुलाते हैं, उन्हें प्यार और समझ से जीना सिखाते हैं, और उनकी ग़लतफ़हमियों को दूर करने की कोशिश करते हैं।
फिल्म में कई ऐसे भावनात्मक मोड़ आते हैं, जहाँ दोनों जोड़े धीरे-धीरे अपने बीते पलों को याद करने लगते हैं। शारदा उन्हें बताती हैं कि शादी सिर्फ प्यार का नाम नहीं, बल्कि एक ज़िम्मेदारी है। और संजय उन्हें समझाते हैं कि अगर किसी को सच्चा प्यार मिला है, तो उसे कभी हार नहीं माननी चाहिए।
काफी उतार-चढ़ाव और सीख के बाद, दोनों जोड़ियों को एहसास होता है कि उन्होंने एक-दूसरे को कितना गलत समझा था। राकेश-प्रेमा और सुधीर-दीपा दोनों ही फिर से एक हो जाते हैं। उन्हें ये भी समझ आता है कि जब दो लोग साथ रहने का फैसला करते हैं, तो उन्हें एक-दूसरे की कमियों को अपनाना होता है।
फिल्म एक खुशनुमा और दिल को सुकून देने वाले मोड़ पर खत्म होती है, जहाँ रिश्ते फिर से जुड़ते हैं और प्यार की जीत होती है।
"Shriman Shrimati" एक पारिवारिक ड्रामा है, जो रिश्तों की नाजुकता और उन्हें संभालने की अहमियत को बहुत खूबसूरती से दिखाता है। इसमें हल्का-फुल्का हास्य भी है, गहरी भावनाएँ भी हैं, और सबसे बड़ी बात – रिश्तों को जोड़ने का मजबूत संदेश।
अगर आप भी उन फिल्मों को पसंद करते हैं जो सिखाती हैं कि प्यार, समझदारी और सहनशीलता से हर रिश्ता बचाया जा सकता है, तो ये फिल्म ज़रूर देखिए।
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धन्यवाद! फिर मिलेंगे एक और दिलचस्प फिल्म की कहानी के साथ।
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