"MANAM" - AKKUNENI NAGESWARA RAO MOVIE REVIEW / A FANTASY DRAMA FILM
नमस्कार दोस्तों! आज हम बात करेंगे एक बेहद खास तेलुगु फिल्म की, जिसका नाम है "Manam" – एक दिल को छू लेने वाली कहानी जो प्यार, पुनर्जन्म और किस्मत के खूबसूरत रिश्ते को दर्शाती है। यह फिल्म साल 2014 में आई थी और इसे लिखा और निर्देशित किया था विक्रम कुमार ने। फिल्म को अक्किनेनी परिवार ने अपने बैनर Annapurna Studios
के तहत प्रोड्यूस किया था।
इस फिल्म में तेलुगु सिनेमा के तीन पीढ़ियों के सुपरस्टार्स ने एक साथ काम किया – अक्किनेनी नागेश्वर राव, नागरjuna, और नागा चैतन्य, साथ में सामंथा और श्रीया सरन भी मुख्य किरदारों में हैं।
कहानी की शुरुआत होती है एक कपल राधा मोहन और कृष्णवेणी से, जो एक-दूसरे से बेहद प्यार करते थे। लेकिन शादी के बाद उनके रिश्ते में गलतफहमियाँ आने लगती हैं और वो तलाक लेने का फैसला करते हैं। उनका छह साल का बेटा उन्हें रोकना चाहता है, लेकिन किस्मत कुछ और ही चाहती है। 14 फरवरी 1983 को सुबह 10:20 बजे, वो दोनों एक कार दुर्घटना में चल बसते हैं।
तीस साल बीत जाते हैं और उनका बेटा नागेश्वर राव (नागरjuna) एक बड़ा और अमीर बिज़नेसमैन बन चुका होता है। एक दिन वो ऐसे दो लोगों से मिलता है जो हूबहू उसके माँ-बाप जैसे दिखते हैं – नागा चैतन्य और प्रिया (सामंथा)।
उसे लगता है कि ये संयोग नहीं है। वो इन दोनों को फिर से एक जोड़ी बनाना चाहता है। लेकिन उसे झटका तब लगता है जब नागा चैतन्य उसे बताता है कि वो पहले ही किसी और लड़की, प्रेमा, से प्यार करता है। नागेश्वर राव अपने सलाहकार की मदद से उस रिश्ते को खत्म करवा देता है।
उसी समय नागेश्वर राव की मुलाकात होती है डॉ. अंजलि (श्रीया सरन) से, और वो पहली नजर में ही उसे दिल दे बैठता है। वह एक घायल बुज़ुर्ग आदमी की मदद करता है, जिसका नाम है चैतन्य (अक्किनेनी नागेश्वर राव)। जब चैतन्य इन दोनों को देखता है, तो हैरान रह जाता है – ये दोनों उसे अपने माता-पिता जैसे लगते हैं, सीतारामुडु और रामलक्ष्मी।
अब कहानी हमें 1924 में ले जाती है, जब सीतारामुडु एक लंदन-शिक्षित बैरिस्टर था और रामलक्ष्मी एक गरीब लेकिन स्वाभिमानी लड़की। किस्मत से इनकी शादी तय होती है। लेकिन रामलक्ष्मी शादी के लिए 6 महीने की मोहलत मांगती है ताकि वो वर को नए कपड़े दिला सके – जो गाँव की परंपरा थी। सीतारामुडु एक चोर के भेष में रामलक्ष्मी से मिलता है और उसकी मदद करता है। धीरे-धीरे दोनों एक-दूसरे से प्यार करने लगते हैं और शादी हो जाती है।
पर 14 फरवरी 1924 को, उनके 8 साल के बेटे चैतन्य ने उन्हें वापस घर बुलाने के लिए बुखार का बहाना किया। वो लौटते समय उसी जगह कार दुर्घटना में मारे जाते हैं – वही समय, वही स्थान जहाँ सालों बाद राधा मोहन और कृष्णवेणी की भी मौत होती है।
अब चैतन्य की कोशिश रहती है कि वो इन सभी लोगों को दोबारा एक करे, लेकिन इस तरह कि कोई भी अपने पिछले जन्म की याद में टूट न जाए।
चैतन्य नागेश्वर राव के घर रहने लगता है, और नागा चैतन्य भी वहीं आता है क्योंकि उसे उसके हॉस्टल से निकाल दिया गया था। एक दिन प्रिया को अचानक अपने पिछले जन्म की याद आ जाती है, और वो नागा चैतन्य से नाराज़ होकर वहाँ से चली जाती है। फिर धीरे-धीरे सबको अपने अतीत की यादें आने लगती हैं।
नागेश्वर राव की बर्थडे पार्टी में डॉ. अंजलि उसे प्रपोज करती है, और वो खुशी-खुशी हाँ कर देता है। चैतन्य भी इस मिलन से बहुत खुश होता है।
अगले दिन, नागा चैतन्य और प्रिया एक मंदिर की ओर जा रहे होते हैं, लेकिन जिस कार में वो हैं उसके ब्रेक फेल हो जाते हैं। नागेश्वर राव और अंजलि उनका पीछा करते हैं। उसी समय चैतन्य को एक नौजवान बाइक राइडर लिफ्ट देता है।
जैसे ही गाड़ी clock tower के
पास पहुँचती है, ठीक 10:20 पर एक बेकाबू ट्रक उनकी ओर बढ़ता है। लेकिन वो बाइक ट्रक से टकरा कर उसके रास्ते को मोड़ देती है और सबकी जान बच जाती है।
जब सब हैरान होकर चैतन्य का शुक्रिया कहते हैं, तो वह बताता है कि असली हीरो वो बाइक राइडर है – अखिल। वो वही इंसान है जो अगले जन्म की नई कड़ी को शुरू करता है।
Manam सिर्फ एक फिल्म नहीं, एक इमोशनल यात्रा है – जो यह बताती है कि सच्चा प्यार, आत्माएं और रिश्ते – समय से परे होते हैं। फिल्म को बेहतरीन डायरेक्शन, म्यूज़िक और इमोशनल अपील के लिए खूब सराहा गया। यह अक्किनेनी नागेश्वर राव की आखिरी फिल्म थी, और इसे उनके बेटे नागरjuna ने एक श्रद्धांजलि की तरह पूरी की।
इस फिल्म ने कई अवॉर्ड्स जीते, और आज भी इसे तेलुगु सिनेमा की सबसे महान फिल्मों में गिना जाता है।
अगर आपको ये कहानी पसंद आई हो, तो इस वीडियो को लाइक और शेयर ज़रूर करें, और हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें ऐसे ही फिल्मों की दिल को छू लेने वाली कहानियाँ सुनने के लिए।
No comments:
Post a Comment