"PREM PUJARI" - DEV ANAND HINDI MOVIE REVIEW / ROMANTIC DRAMA / WAHEEDA REHMAN & VIJAY ANAND
आज
हम
बात
कर
रहे
हैं
1970 में
रिलीज़
हुई
एक
खास
फिल्म
की
– "Prem Pujari"।
ये
फिल्म
अपने
जमाने
की
बेहद
खूबसूरत लेकिन
कम
चर्चित
फिल्मों में
से
एक
है,
जिसे
खुद
देव आनंद ने
लिखा,
डायरेक्ट और
प्रोड्यूस किया
था।
ये
फिल्म
उनकी
डायरेक्टोरियल डेब्यू
भी
थी।
इस
फिल्म
में
देव
आनंद
के
साथ
नजर
आती
हैं
वहीदा रहमान।
साथ
ही
शत्रुघ्न सिन्हा, प्रेम चोपड़ा, मदन पुरी, और
उस
समय
तक
अनजान
रहे
अमरीश पुरी भी
इस
फिल्म
में
हैं।
फिल्म
भले
ही
बॉक्स
ऑफिस
पर
सफल
नहीं
रही,
लेकिन
इसके
गाने अमर हो गए – एस
डी
बर्मन
की
धुनों
और
गोपालदास नीरज
के
बोलों
ने
इसे
संगीतप्रेमियों के
दिलों
में
अमर
बना
दिया।
फिल्म
की
कहानी
है
लेफ्टिनेंट रामदेव बक्शी की,
जो
एक
सादे
और
भोले
स्वभाव
के
इंसान
हैं।
रामदेव
के
पिता
दुर्गादास बक्शी एक
रिटायर्ड आर्मी
ऑफिसर
हैं,
और
वही
रामदेव
को
सेना
में
भेजते
हैं।
रामदेव
को
जानवरों और
प्रकृति से
बेहद
लगाव
है।
वह
एक
शांतिप्रिय इंसान
है
जो
हिंसा
में
यकीन
नहीं
रखता।
रामदेव
का
गांव
है
खेमकरण, और
वहीं
उसे
प्यार
होता
है
सुमन से
–
सुमन
एक
चुलबुली, खूबसूरत लड़की
है,
जो
राम
की
बचपन
की
दोस्त
भी
है।
दोनों
एक-दूसरे से बहुत
प्यार
करते
हैं
और
हर
दिन
एक-दूसरे के साथ
वक्त
बिताते
हैं
– खेतों
में,
फूलों
के
बीच,
नदी
किनारे
– सब
कुछ
एक
सपने
जैसा
लगता
है।
एक
दिन
रामदेव
को
सेना
से
पत्र
आता
है
– उसे
इंडो-चाइना बॉर्डर पर
वापस
लौटना
है
क्योंकि उसकी
छुट्टी
खत्म
हो
गई
है।
राम
का
मन
नहीं
है
– वह
अपने
पिता
से
कहता
है
कि
अब
वह
सेना
छोड़ना
चाहता
है।
लेकिन
पिता
की
उम्मीदों और
जिम्मेदारियों को
समझते
हुए,
वह
अपने गांव और सुमन को अलविदा कहकर बॉर्डर
चला
जाता
है।
बॉर्डर
पर
पहुँचकर, जब
युद्ध
छिड़
जाता
है,
तो
रामदेव
युद्ध में भाग लेने से मना कर देता है।
उसका
कहना
है
कि
वह
अहिंसा में
विश्वास रखता
है
और
वह
किसी
को
मारना
नहीं
चाहता।
सेना
के
सीनियर
अफसर
उससे
बेहद
नाराज़
हो
जाते
हैं
और
राम
को
दो साल की सजा सुना
दी
जाती
है
– उसे
भेजा
जाता
है
सेल्युलर जेल।
लेकिन
राम
वहाँ
से
भाग निकलता है और
उत्तर-पूर्व के पहाड़ों में
छिपकर रहने लगता है।
रामदेव
को
जल्द
ही
एहसास
होता
है
कि
सिर्फ
भागने
से
कुछ
नहीं
होगा
–
अब
वह
अपने
देश
के
लिए
कुछ
सच में बड़ा करना चाहता है।
वह
खुद
को
सेना
के
सामने
पेश
करता
है
और
कहता
है
कि
वह
एक
जासूस बनकर
भारत के लिए काम करना चाहता है।
राम
को
भेजा
जाता
है
चीन की राजधानी बीजिंग में
–
जहाँ
वह
दुश्मन
देश
की
बड़ी-बड़ी योजनाएं और
गुप्त जानकारियाँ भारत तक पहुँचाता है।
इन
जानकारियों की
मदद
से
भारत
को
युद्ध
में
जीत मिलती है।
युद्ध
के
बाद,
रामदेव
को
पंडित जवाहरलाल नेहरू खुद
भारत का सबसे बड़ा सैन्य सम्मान देते
हैं।
उसे
पूरे
देश
में
हीरो की
तरह
देखा
जाने
लगता
है।
युद्ध
के
बाद,
वह
सुमन से शादी करता है, और
दोनों
एक
खुशहाल जीवन बिताने
लगते
हैं।
फिल्म
में
कई
ऐसे
गाने
हैं
जो
आज
भी
लोगों
के
दिलों
में
बसते
हैं:
🎶 “फूलों के रंग से...”,
🎶 “शोखियों में घोला जाए...”,
🎶 “रंगीला रे तेरे रंग में...”,
ये
गाने
सिर्फ
रोमांस
नहीं,
बल्कि
भावनाओं की
गहराई
भी
बयां
करते
हैं।
"Prem Pujari" एक
सच्चे
प्रेमी
की
कहानी
है
–
जो
अहिंसा में विश्वास रखता है, लेकिन
जब
देश
पर
संकट
आता
है,
तो
अपनी
पूरी जान की बाज़ी लगाकर देशभक्ति निभाता है।
देव
आनंद
का
निर्देशन, वहीदा
रहमान
की
खूबसूरती और
एस
डी
बर्मन
का
संगीत
– इस
फिल्म
को
एक
क्लासिक बना
देता
है।
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