"KASHMAKASH" - FEROZ KHAN, SHATRUGHAN SINHA, AND REKHA HINDI MOVIE REVIEW / CRIME - THRILLER
"जब ज़िंदगी में वासना, झूठ और धोखे की दुनिया में एक गलत कदम उठता है... तो सब कुछ तबाह हो सकता है। यही है फिल्म 'कशमकश' की कहानी – एक रोमांचक सफर गुनाह, पछतावे और सच्चाई की ओर।"
'कशमकश', 1973 में रिलीज़ हुई एक हिंदी फिल्म है, जिसे फिरोज चिनॉय ने निर्देशित किया है। इस फिल्म में हैं – फिरोज़ खान, रेखा, शत्रुघ्न सिन्हा, आशा सचदेव, और साथ में रंजीत, रहमान, पद्मा खन्ना, और आई एस जौहर, जो इस फिल्म में खुद का किरदार निभाते हैं।
यह कहानी loosely आधारित है James
Hadley Chase के नॉवेल “Tiger by the Tail”
पर।
सतीश गुप्ता , (फिरोज़ खान) और सीता , (रेखा) एक खुशहाल शादीशुदा जोड़ा है। ज़िंदगी खूबसूरत चल रही होती है, जब तक कि सतीश का दोस्त मनमोहन उसे एक रात "मज़े"
करने के लिए राज़ी नहीं कर लेता।
मनमोहन उसे लेकर जाता है एक होटल में, जहां कैबरे डांसर सपना , (आशा सचदेव) परफॉर्म करती है। सपना हसीन भी है और रहस्यमयी भी। वह सतीश को अपनी बातों में फंसा लेती है — बाथटब से बेडरूम तक।
लेकिन तभी अचानक कमरे की बत्तियाँ बंद हो जाती हैं — और एक चीख सुनाई देती है।
सपना की बेरहमी से चाकू मारकर हत्या कर दी जाती है।
सतीश घबरा जाता है। उसके कपड़े खून से सने होते हैं। वह वहां से भागने लगता है… लेकिन सीढ़ियों पर पकड़ लिया जाता है — और पकड़ने वाला कोई और नहीं, खुद आई एस
जौहर है, जो एक प्राइवेट डिटेक्टिव है और हर जगह अपने सफेद पोमेरेनियन डॉग के साथ पहुंचता है।
लेकिन जौहर असली पुलिस नहीं है। वह अमीर और रसूखदार लोगों की जासूसी करके उन्हें ब्लैकमेल करता है। और उसका मालिक है राणा , (रहमान), जो खुद एक माफिया डॉन है, लेकिन दुनिया की नजरों में एक सम्मानित नेता बनने का ढोंग कर रहा है।
सपना की हत्या अख़बारों की हेडलाइन बन जाती है। उसकी इंटरनेशनल पहचान के कारण मामला और भी पेचीदा हो जाता है।
सतीश अब पूरी तरह टूट चुका है। उसकी आत्मा अपराधबोध से भर गई है। उसकी शादी भी डगमगाने लगती है। सीता के साथ उसका रिश्ता अब पहले जैसा नहीं रहता।
इसी दौरान उसकी बहन ऋतु, (पद्मा खन्ना) अपने मंगेतर इंस्पेक्टर सिन्हा , (शत्रुघ्न सिन्हा) से मिलवाती है — जो अब सपना मर्डर केस की जांच भी कर रहा है।
अब सतीश को दो तरफ से दबाव झेलना पड़ता है — पुलिस और जौहर की ब्लैकमेलिंग।
आख़िरकार, सतीश सीता के सामने अपना गुनाह कबूल करता है। वह कहता है कि उसने धोखा दिया लेकिन वह कातिल नहीं है।
सीता और इंस्पेक्टर सिन्हा मिलकर योजना बनाते हैं — और उस रात की पूरी घटना को फिर से दोहराने का फैसला करते हैं।
उसी होटल, उसी कमरे, और उसी बेड पर, सतीश और सीता एक जाल बिछाते हैं।
और जाल में फँसता है जॉनी — सपना का पुराना आशिक, जो हाल ही में जेल से छूटा है। लेकिन वह अकेला नहीं है।
उसके पीछे
mastermind है आई एस
जौहर — जो अब तक सबको गुमराह करता रहा। और उसके ऊपर है राणा, जो अब राजनीति में आने की कोशिश कर रहा है और जॉनी की बहन से शादी करने वाला है।
इंस्पेक्टर सिन्हा को सपना के पोस्टमॉर्टम से पता चलता है कि वो दो महीने की गर्भवती थी — और बच्चा जॉनी का था, न कि सतीश का।
जौहर एक बार फिर होटल के कमरे में चुपके से घुसता है — ‘Psycho’ फिल्म की स्टाइल में — और सोचता है कि वो फिर सतीश को फंसा देगा।
वह बिस्तर पर लेटी औरत को चाकू मारता है… लेकिन ये कोई इंसान नहीं, बस एक तकिया होता है।
पुलिस वहां पहले से मौजूद होती है, लेकिन जौहर भाग निकलता है।
इसके बाद एक खतरनाक कार चेज़ होती है। राणा को पुलिस पकड़ लेती है, लेकिन वह मारा जाता है।
जौहर आख़िरकार सीता को किडनैप कर लेता है। लेकिन उसका अंत करीब होता है।
एक आखिरी गोली चलती है — इंस्पेक्टर सिन्हा की।
जौहर की गाड़ी खाई में गिर जाती है… और उसका खेल खत्म हो जाता है।
सतीश निर्दोष साबित हो जाता है।
सीता उसे माफ कर देती है। उनका रिश्ता फिर से जुड़ता है, पहले से ज्यादा मजबूत बनकर।
और उधर इंस्पेक्टर सिन्हा और ऋतु की शादी हो जाती है।
'कशमकश' सिर्फ एक मर्डर मिस्ट्री नहीं, यह एक कहानी है — एक गलत फ़ैसले के भयानक अंजाम की। यह दिखाती है कि गुनाह का बोझ किसी भी रिश्ते को तोड़ सकता है… लेकिन सच्चाई और माफी से सब कुछ सुधारा भी जा सकता है।
"अगर आपको ये कहानी पसंद आई हो, तो वीडियो को Like, Share और Subscribe करना न भूलें… और ऐसे ही पुराने क्लासिक फिल्मों की कहानियों के लिए जुड़ें हमारे चैनल के साथ। धन्यवाद!"
No comments:
Post a Comment