UDAIPUR FILES: KANHAIYA LAL TAILOR MURDER - HINDI MOVIE REVIEW

 



उदयपुर फाइल्स: एक दर्जी की हत्याएक सच्ची घटना पर आधारित थ्रिलर कहानी

 Tagline: "एक हत्या नहीं, एक साजिश थीसच को सामने लाना जरूरी है!"

 

आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसी फिल्म की, जो देश को झकझोर देने वाली एक सच्ची घटना पर आधारित है। इस फिल्म का नाम है “Udaipur Files: Kanhaiya Lal Tailor Murder” यानी उदयपुर फाइल्स: कनहैया लाल दर्जी की हत्या

यह फिल्म साल 2025 में रिलीज़ हुई थी। यह एक हिंदी भाषा की क्राइम थ्रिलर फिल्म है, जिसे भारत एस. श्रीनाथे और जयंत सिन्हा ने मिलकर डायरेक्ट किया है। फिल्म की कहानी लिखने में अमित जानी, भारत सिंह और जयंत सिन्हा का योगदान रहा है। इस फिल्म को Reliance Entertainment ने डिस्ट्रीब्यूट किया है।

फिल्म में मुख्य भूमिकाएँ निभाई हैं तीन कलाकारों ने
 
विजय राज
 
रजनीश दुग्गल
 
प्रीति झंगियानी

यह फिल्म किसी काल्पनिक कहानी पर नहीं, बल्कि एक वास्तविक घटना से प्रेरित हैजो हुई थी 28 जून 2022 को राजस्थान के उदयपुर शहर में।

उस दिन, एक साधारण दर्जी कनहैया लाल की निर्दयता से हत्या कर दी गई थी। इस घटना ने पूरे देश को हिला दिया था। लोग डर, गुस्से और सवालों से भर गए थे – “ऐसा क्यों हुआ?”, “किसने किया?”, “क्यों किया?”

इन्हीं सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करती है ये फिल्म।

फिल्म की शुरुआत होती है एक दर्दनाक घटना सेदर्जी कनहैया लाल की दुकान में हुई हत्या से। हत्या इतनी निर्मम होती है कि दर्शक भी एक पल के लिए सन्न रह जाते हैं।

इसके बाद कहानी का केंद्र बनते हैं ईश्वर सिंहजो एक इंटेलिजेंस ऑफिसर हैं। इस किरदार को बड़ी बारीकी से निभाया है विजय राज ने।

ईश्वर सिंह को इस हत्या की जांच का जिम्मा दिया जाता है। शुरुआत में यह एक साधारण आपराधिक केस लगता है, लेकिन जैसे-जैसे ईश्वर सिंह गहराई में जाते हैं, उन्हें पता चलता है कि यह हत्या कोई सामान्य अपराध नहीं, बल्कि एक साजिश का हिस्सा है।

ईश्वर सिंह की जांच धीरे-धीरे कई चौंकाने वाले खुलासे करती है। उन्हें पता चलता है कि इस हत्या के पीछे कुछ कट्टरपंथी संगठन और इस्लामिक आतंकी नेटवर्क सक्रिय हैं।

फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह सोशल मीडिया, विदेशी फंडिंग, और धार्मिक उन्माद का इस्तेमाल करके कुछ लोगों को उकसाया गया, भड़काया गया और हत्या के लिए तैयार किया गया।

ईश्वर सिंह की टीम को कई गुप्त लिंक, चैट रिकॉर्ड, और संदिग्ध लोगों के नेटवर्क का पता चलता है। धीरे-धीरे यह साफ हो जाता है कि यह हत्या किसी व्यक्तिगत दुश्मनी की वजह से नहीं हुई, बल्कि यह एक सोच-समझकर की गई योजना का हिस्सा थी।

फिल्म में ईश्वर सिंह का संघर्ष केवल अपराधियों से नहीं, बल्कि सिस्टम, राजनीति, और धार्मिक तनावों से भी होता है। कई बार उन्हें जांच में रुकावटें आती हैंकभी ऊपर से दबाव, कभी सबूतों की कमी, कभी धमकियाँ।

लेकिन ईश्वर सिंह हार नहीं मानते। वे सच्चाई तक पहुंचने के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना लड़ते रहते हैं।

फिल्म में यह भी दिखाया गया है कि कैसे कुछ मीडिया हाउस, सोशल मीडिया ग्रुप और कट्टरपंथी विचारधाराएँ सच्चाई को छुपाने या गलत दिशा में मोड़ने की कोशिश करती हैं।

·        विजय राज ने ईश्वर सिंह का किरदार बहुत ही गहराई और इमोशन के साथ निभाया है। उनका अभिनय दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर देता है।

·        रजनीश दुग्गल और प्रीति झंगियानी ने भी अपने किरदारों को ईमानदारी से निभाया है और कहानी को मजबूती दी है।

फिल्म की कहानी बहुत ही सधी हुई है। यह केवल एक हत्या की कहानी नहीं, बल्कि यह सवाल उठाती है
👉हमारे समाज में बढ़ती नफरत का जिम्मेदार कौन है?”
👉क्या धार्मिक कट्टरता इंसानियत से ऊपर हो सकती है?”
👉क्या हम सच को देखने की हिम्मत रखते हैं?”

फिल्म की सिनेमैटोग्राफी, बैकग्राउंड म्यूज़िक और डायलॉग्स दर्शकों पर गहरा असर छोड़ते हैं।

हालांकि फिल्म की कहानी दमदार है और इसका विषय बहुत गंभीर है, लेकिन 8 अगस्त 2025 को रिलीज़ होने के बाद यह फिल्म व्यावसायिक रूप से सफल नहीं रही शायद इसकी वजह इसका संवेदनशील विषय, सीमित प्रचार या दर्शकों की मानसिक तैयारी हो सकती है।

लेकिन जो दर्शक इस फिल्म को देखते हैं, वे इसे एक सच्चाई से जुड़ा जरूरी सिनेमा मानते हैं।

1.    सच्ची घटना पर आधारित दमदार कहानी

2.    कट्टरपंथ, आतंकवाद और धार्मिक उन्माद पर खुली चर्चा

3.    शानदार अभिनयखासकर विजय राज का प्रदर्शन

4.    दर्शकों को सोचने पर मजबूर करने वाले संवाद

5.    सामाजिक चेतना जगाने वाला संदेश

 “Udaipur Files” केवल एक क्राइम थ्रिलर नहीं है। यह एक आईना हैजिसमें हम अपने समाज की सच्चाई देख सकते हैं। यह फिल्म हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि अगर हम समय रहते नहीं चेते, तो नफरत और अंधविश्वास हमारे बीच और ज्यादा खाई पैदा कर सकते हैं।

फिल्म का संदेश साफ है
 
सच को जानना जरूरी है, भले ही वह कड़वा क्यों हो।
 
धर्म के नाम पर हिंसा कभी भी जायज़ नहीं हो सकती।

 

 अगर आपको समाज की सच्चाई जानने की हिम्मत है, तो यह फिल्म जरूर देखिए।
 
यह फिल्म भले ही बॉक्स ऑफिस पर सफल रही हो, लेकिन अपने संदेश और संवेदनशीलता के कारण यह लंबे समय तक याद रखी जाएगी।



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