LAV KUSH - HINDU MMYTHOLOGICAL DRAMA FILM / JEETENDRA & JAYA PRADA STARRING
"ये कहानी है त्याग की... प्रेम की... और मर्यादा की।
एक माँ, जो माँ बनकर भी पत्नी का अपमान सहती है।
एक पिता, जो राजा बनकर इंसाफ करता है, पर दिल को चोट पहुँचती है।
और दो बेटे... जो पूरी दुनिया को अपने कर्मों से सच्चाई का आईना दिखाते हैं।
ये है – ‘Lav Kush’ की अनसुनी कहानी।"
फिल्म की शुरुआत होती है — भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने से। रावण पर विजय प्राप्त करके, वो सीता माता के साथ अपने राज्य में लौटते हैं। पूरा नगर दीपों से सजता है। श्रीराम का राज्याभिषेक होता है, और अयोध्या में एक सुखद जीवन शुरू होता है।
लेकिन... एक दिन श्रीराम को अपने गुप्तचरों से खबर मिलती है कि कुछ लोग सीता माता के चरित्र पर सवाल उठा रहे हैं — क्योंकि उन्होंने एक साल रावण की लंका में बिताया था।
राजा राम की मर्यादा, उनके धर्म पर भारी पड़ती है। वो लक्ष्मण को आदेश देते हैं कि गर्भवती सीता को वनवास दिया जाए।
लक्ष्मण के द्वारा छोड़ी गई सीता माता को महर्षि वाल्मीकि अपने आश्रम में शरण देते हैं। वहां वो एक नई पहचान — लोकपावनी — के रूप में रहने लगती हैं।
लेकिन जब उन्हें पता चलता है कि श्रीराम ने ही अपनी पत्नी सीता को त्याग दिया था, तो वे रामायण पाठ से इनकार कर देते हैं।
सीता माता ये सुनकर व्याकुल हो जाती हैं, लेकिन जब लव-कुश फिर से रामायण का पाठ करते हैं, तो वह शांत हो जाती हैं।
तब ये तय होता है कि सीता की स्वर्ण प्रतिमा के साथ यज्ञ होगा, और यज्ञ के लिए लोग दान में स्वर्ण देते हैं।
पर तभी हनुमान जी सीता माता को सूचित करते हैं।
सीता माता युद्ध को रोकती हैं और सबके सामने घोषणा करती हैं कि लव और कुश ही श्रीराम के पुत्र हैं।
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