1968 में
रिलीज़ हुई Shikar
एक रोमांचक हिंदी थ्रिलर और मर्डर मिस्ट्री फिल्म है। इस फिल्म का निर्देशन और निर्माण आत्मा राम ने किया था। कहानी रहस्य, सस्पेंस और ड्रामे से भरी हुई है, जिसने उस समय के दर्शकों को काफी रोमांचित किया।
इस फिल्म में हिंदी सिनेमा के बड़े सितारे नज़र आए। मुख्य भूमिकाओं में धर्मेंद्र, आशा पारेख, संजय कुमार, हेलेन, रेhman, जॉनी वॉकर, बेला बोस और रमेश देव शामिल थे। फिल्म का संगीत मशहूर जोड़ी शंकर-जयकिशन ने दिया था और इसके गानों के बोल हसरत जयपुरी ने लिखे। फिल्म का सबसे लोकप्रिय गीत “पर्दे में रहने दो” को आशा भोसले ने गाया था और इसके लिए उन्हें फिल्मफेयर का बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर अवॉर्ड भी मिला।
कहानी की शुरुआत होती है एक खौफनाक हत्या से। मैनेजर अजय सिंह (धर्मेंद्र) को खबर मिलती है कि एक शख्स जिसका नाम नरेश है, उसकी हत्या हो गई है। अजय तुरंत पुलिस इंस्पेक्टर राय (संजय कुमार) को इस बारे में जानकारी देता है।
लेकिन जब पुलिस और अजय मौके पर पहुँचते हैं, तो सबूतों से छेड़छाड़ हो चुकी होती है। खून का असली सुराग छुपा दिया गया है, और हत्यारे तक पहुँचने के सारे रास्ते बंद कर दिए गए हैं। यह रहस्यमय स्थिति अजय की जिंदगी को बिल्कुल बदल देती है।
अजय ठान लेता है कि वह इस हत्या का सच सामने लाएगा और असली कातिल को बेनकाब करेगा।
इस जाँच के दौरान अजय की मुलाकात होती है किरन (आशा पारेख) से। अजय हैरान रह जाता है क्योंकि उसने उसे हत्या वाली जगह पर देखा था, और उसके हाथ में वही हथियार भी था, जिससे नरेश की हत्या हुई थी।
किरन एक सम्मानित परिवार की लड़की है, और उसका इस तरह किसी खून से जुड़ना अजय के लिए बहुत बड़ा सवाल बन जाता है।
फिर अजय उसे दोबारा देखता है – इस बार एक मंच पर, जब वह मशहूर गाने “पर्दे में रहने दो, पर्दा न उठाओ” पर नृत्य कर रही होती है।
धीरे-धीरे यह साफ़ होता है कि किरन के पास कोई बड़ा राज़ है। उसके पास कुछ ऐसे सबूत हैं, जो इस हत्या के मामले की गुत्थी सुलझा सकते हैं और असली हत्यारे तक ले जा सकते हैं।
जाँच के दौरान यह भी सामने आता है कि मारा गया शख्स नरेश (रेhman) कोई नेक इंसान नहीं था। वह शराबी और औरतबाज़ था। उसकी आदतों की वजह से कई लोग उससे नफरत करते थे। यही कारण था कि उसके दुश्मन भी कम नहीं थे, और शक कई लोगों पर जाता है।
अब सवाल यह था – क्या किरन ने ही नरेश को मारा है? या फिर वह किसी और की साजिश में फँस गई है?
फिल्म की पूरी कहानी अजय की कोशिशों पर आधारित है। एक तरफ़ वह सच का पता लगाना चाहता है, दूसरी तरफ़ किरन की मासूमियत उस पर सवाल उठाती है।
पुलिस इंस्पेक्टर राय भी इस केस को सुलझाने में लगा रहता है, लेकिन हर बार कोई नया मोड़ आ जाता है। गवाह गायब हो जाते हैं, सबूत बदल दिए जाते हैं और शक की सुई अलग-अलग लोगों पर घूमती रहती है।
जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, कई परतें खुलती हैं और धीरे-धीरे असली हत्यारे का चेहरा सामने आता है।
फिल्म Shikar का
संगीत उसकी बड़ी ताकत थी। शंकर-जयकिशन के दिलकश सुर और हसरत जयपुरी के बोलों ने गानों को अमर बना दिया।
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“पर्दे में रहने दो” तो आज भी दर्शकों के बीच मशहूर है।
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इसके अलावा फिल्म में कई और अच्छे गीत थे, जिनमें रोमांस और रहस्य दोनों का मेल था।
मजबूत स्टारकास्ट – धर्मेंद्र और आशा पारेख की जोड़ी ने दर्शकों का दिल जीत लिया। संजीव कुमार और रेhman की दमदार अदाकारी ने फिल्म में गहराई लाई।
सस्पेंस और थ्रिलर – फिल्म का हर मोड़ दर्शकों को सीट से बाँधे रखता है।
संगीत का जादू
– शंकर-जयकिशन का संगीत और आशा भोसले की आवाज़ ने फिल्म को और खास बना दिया।
निर्देशन
– आत्मा राम ने फिल्म को बेहतरीन ढंग से प्रस्तुत किया और एक थ्रिलर को हिंदी सिनेमा में क्लासिक बना दिया।
Shikar (1968) सिर्फ़ एक मर्डर मिस्ट्री नहीं, बल्कि एक रोमांचक सफ़र है जिसमें सस्पेंस, ड्रामा, रोमांस और शानदार संगीत सब कुछ मौजूद है। धर्मेंद्र और आशा पारेख की जोड़ी, संजीव कुमार की पुलिस इंस्पेक्टर वाली भूमिका, और सबसे बढ़कर “पर्दे में रहने दो” जैसा अमर गीत – इन सबने फिल्म को यादगार बना दिया।
आज भी Shikar को हिंदी सिनेमा की बेहतरीन थ्रिलर फिल्मों में गिना जाता है।
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