KESARI VEER - HINDI MOVIE REVIEW / HISTORICAL ACTION DRAMA / SUNEIL SHETTY / VIVEK OBEROI FILM
"जब मंदिर की घंटियां खतरे में थीं, तब एक योद्धा उठा – धर्म और धरती की रक्षा के लिए..."
यह है – केसरिया शौर्य की कहानी – फिल्म Kesari Veer।
2025 की यह ऐतिहासिक एक्शन फिल्म है Kesari Veer, जिसे निर्देशित किया है प्रिंस धीमान ने और निर्माता हैं कनुभाई चौहान, राजेन चौहान, हीना चौहान, सुहराज चौहान और ओम चौहान। इस फिल्म में मुख्य भूमिकाओं में हैं सुनील शेट्टी, विवेक ओबेरॉय, सूरज पंचोली और आकांक्षा शर्मा।
फिल्म की कहानी शुरू होती है 14वीं शताब्दी के गुजरात में। दिल्ली की तुगलक सल्तनत हिन्दू धर्म स्थलों को निशाना बना रही थी, और उसका अगला निशाना था पवित्र सोमनाथ मंदिर। सुल्तान मोहम्मद बिन तुगलक की फौजें मंदिर को तोड़ने के लिए आगे बढ़ रही थीं।
इसी समय, गुजरात की धरती पर जन्म लेता है एक राजपूत योद्धा — हामीरजी गोहिल । हमीरजी न सिर्फ एक पराक्रमी योद्धा हैं, बल्कि वो अपने धर्म, अपनी संस्कृति और अपनी मातृभूमि के लिए जान देने वाले सच्चे रक्षक हैं।
जब सोमनाथ मंदिर पर संकट आता है, हमीरजी गोहिल अपनी तलवार उठाते हैं। वो अपनी छोटी सी सेना के साथ एक नारा देते हैं — "हर हर महादेव!" और निकल पड़ते हैं सैकड़ों मील दूर से तुगलक सेना का सामना करने।
फिल्म में उनकी बहादुरी और रणनीति को दिखाया गया है — कैसे उन्होंने किले में रहकर युद्ध किया, किस तरह उन्होंने मंदिर की रक्षा की, और कैसे उन्होंने सैकड़ों मुस्लिम सैनिकों को रोका।
इस बीच कहानी में एक और मोड़ आता है, जब एक स्थानीय राजा जयसिंह सुल्तान से मिल जाता है और हमीरजी को धोखा देता है। जयसिंह लालच और सत्ता की भूख में धर्म को भूल जाता है और अपने ही धर्मवीर का गला घोंटने की साजिश करता है।
फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह धर्म और राजनीति का टकराव होता है, और कैसे एक अकेला सच्चा वीर दोनों से लड़ता है।
फिल्म की सबसे प्रभावशाली झलक है — सोमनाथ मंदिर के प्रांगण में हुआ अंतिम युद्ध, जहां हमीरजी गोहिल अपने 100 सैनिकों के साथ हजारों तुगलक सैनिकों का मुकाबला करते हैं। उनका लक्ष्य सिर्फ एक होता है — मंदिर की रक्षा करना।
वो बुरी तरह घायल होते हैं, लेकिन लड़ते रहते हैं। अंत में, हमीरजी को पकड़ लिया जाता है और सुल्तान के दरबार में ले जाया जाता है। वहाँ उनसे धर्म बदलने का प्रस्ताव रखा जाता है — लेकिन हमीरजी साफ कहते हैं:
"एक राजपूत मर सकता है, लेकिन अपने ईश्वर को नहीं छोड़ सकता!"
सुल्तान उन्हें मौत की सजा देता है, लेकिन उनकी शहादत पूरे देश को झकझोर देती है।
फिल्म का अंत होता है जब सोमनाथ मंदिर बच जाता है, और हमीरजी गोहिल का नाम इतिहास में अमर हो जाता है। उनकी शहादत ने ना सिर्फ मंदिर को बचाया, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को धर्म, बलिदान और वीरता की मिसाल दी।
Kesari Veer सिर्फ एक एक्शन फिल्म नहीं है — ये एक गाथा है सच्चे धर्मवीर की, जिसने अपने खून से इतिहास लिखा।
अगर आपको भारत की विरासत और वीरता पर गर्व है — तो ये फिल्म देखना आपका कर्तव्य है।
मिलते हैं अगली कहानी में – एक और योद्धा, एक और गाथा के साथ।
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